Sunday, 7 September 2025

The words - compellingly appeared in my mind, a skeletal frame, as I sat at the Sai Mandir in Puttaparthi on 2.9.2025. I was held spellbound as I listened to the bhajans, and tears welled up in my eyes. Though caught up in the web of routine chores the next couple of days, the words persisted and bombarded my head. Finally they came together to take shape in this piece, referencing Sri Krishna in his various names.



अर्ज़ सुनो

 

 

1.      हे अच्युत, अनन्त, अवयुक्त                                                                         

इस अज्ञानी अबला की अर्ज़ सुनो!

 

2.      हे अनिकेत, अनिरुद्ध, अपराजित

इस अबोध के अवगुणों का पूर्ण शमन करो

 

3.      हे बालकृष्ण, बालगोपाल, बलभद्रप्रियनुज

भंवर में जकड़े, इस भटके हुए को सन्मार्ग दिखाओ

 

4.      हे दीनबंधु, दीनाशरण्य, देवकीनंदन

दुर्बलता दूर कर, मेरे दुर्लभ जीवन का उद्धार करो

 

5.      हे मुरली मनोहर, मनमोहन

इस पापी को मोह-माया से मुक्त करो

 

6.      हे श्यामसुंदर सुमेधा, सुरेशं

मुझे इस दुविधा से हीन करो

 

7.      हे जगन्नाथ, जनार्दन, जगदीश,

अपने को पापी मैं कैसे कहूँ

 

8.      जब सर्वव्यापी, सर्वाजना, सर्वपालक

आप मेरे रोम-रोम में विराजे हैं

 

9.      हे परमब्रह्म, पुरुषोत्तम, पार्थसारथी

मेरे व्याकुल-विचलित मन के सारथी बनो

 

10.     हे मुकुंद, हृषिकेश, सनातन वैकुंठनाथ

अपने इस शरणागत भक्त के भव पाश हर लो

 

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